देहरादून में महिलाओं के लिए ऐतिहासिक पहल
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के अवसर पर उत्तराखंड सरकार ने महिलाओं को एक अनूठा उपहार देने की घोषणा की है। ‘सारथी’ नामक इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत 14 महिलाएँ टैक्सी, ई-रिक्शा और ई-स्कूटी चलाएंगी। यह योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
कैसे होगी योजना की शुरुआत?
इस योजना की औपचारिक शुरुआत 18 मार्च को देहरादून के यमुना कॉलोनी स्थित कैंप कार्यालय से होगी। उत्तराखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या इस योजना की पहली सवारी बनेंगी। वह एक महिला सारथी के साथ यात्रा करते हुए सर्वे चौक पर स्थित IRDT भवन जाएँगी, जहाँ सभी वाहनों का प्रदर्शन किया जाएगा।
महिलाओं को मिलेगा मुफ्त ड्राइविंग प्रशिक्षण
परिवहन विभाग द्वारा चयनित महिलाओं को ड्राइविंग का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। इनमें से कई महिलाएँ वे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, विधवा हैं या समाज द्वारा उपेक्षित हैं। इस योजना के तहत महिलाओं को ई-वाहन चलाने का अवसर मिलेगा, जिससे वे अपनी आजीविका चला सकेंगी।
योजना के तहत उपलब्ध वाहन
इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत में कुल 14 वाहन शामिल किए गए हैं:
- 2 ई-टैक्सी
- 2 ई-ऑटो रिक्शा
- 10 ई-स्कूटी
महिला यात्रियों को मिलेगी एक हफ्ते तक मुफ्त सेवा
इस योजना की सबसे खास बात यह है कि शुरुआत के एक सप्ताह तक महिला चालकों द्वारा चलाई जाने वाली इन गाड़ियों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाएगी। इसके बाद ये वाहन सामान्य किराए पर उपलब्ध होंगे।
योजना का विस्तार और सुरक्षा उपाय
मंत्री रेखा आर्या के अनुसार, यह योजना अगले छह महीनों में राज्य के अन्य शहरों में भी लागू की जाएगी। इस परियोजना के लिए वित्तीय सहायता एक सामाजिक संगठन के CSR फंड के माध्यम से प्राप्त की गई है।
महिला चालकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन वाहनों में विशेष सुरक्षा सुविधाएँ जोड़ी गई हैं, जैसे:
- GPS ट्रैकिंग: सभी गाड़ियों में जीपीएस ट्रैकर लगाया जाएगा, जिससे सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- मोबाइल ऐप: इस योजना के लिए एक विशेष मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है, जो ऑनलाइन कैब बुकिंग ऐप की तरह काम करेगा।
- पुलिस निगरानी: परिवहन विभाग के साथ पुलिस की मदद भी ली जा रही है ताकि यह योजना सुरक्षित और प्रभावी तरीके से चलाई जा सके।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम
यह योजना न केवल महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगी। इस योजना की सफलता से उत्तराखंड में महिला ड्राइवरों की संख्या बढ़ सकती है और अन्य राज्यों के लिए भी यह प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।