थराली में प्रशासनिक अस्थिरता: विकास पर गहरा प्रभाव

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित थराली तहसील में प्रशासनिक अस्थिरता एक बड़ी समस्या बन गई है। पिछले ढाई महीनों से एसडीएम पद खाली पड़ा है, जिससे स्थानीय निवासियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार हो रहे अधिकारियों के स्थानांतरण से परगना क्षेत्र के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

25 वर्षों में 31 एसडीएम: प्रशासनिक अनिश्चितता का दौर

उत्तराखंड राज्य के गठन के 25 वर्षों में थराली में 31 उपजिलाधिकारी (एसडीएम) आए और चले गए। यह स्थिति इस बात को दर्शाती है कि इस क्षेत्र में प्रशासनिक स्थिरता नहीं बन पाई है, जिससे दीर्घकालिक विकास योजनाओं का क्रियान्वयन कठिन हो गया है।

प्रशासनिक ढांचे की कमजोर स्थिति

1990 में कर्णप्रयाग तहसील से अलग कर थराली तहसील का गठन किया गया, जिसमें देवाल और नारायणबगड़ विकासखंडों को शामिल किया गया। 2014 में नारायणबगड़ और देवाल को अलग तहसील का दर्जा मिला, लेकिन 11 वर्षों बाद भी देवाल तहसील प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर पा रही है।

विकास कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव

थराली तहसील की जटिल भौगोलिक स्थिति के कारण यहां स्थायी एसडीएम की आवश्यकता है। लेकिन, अधिकारियों के बार-बार स्थानांतरण से स्थानीय मुद्दों को समझने और उनके समाधान निकालने में कठिनाई हो रही है। इससे विकास योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।

एसडीएम की अनुपस्थिति से उत्पन्न दिक्कतें

एसडीएम पद के खाली रहने से कानूनी और प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। निवासियों को अपने दस्तावेज प्रमाणित करवाने, कानूनी मामलों की सुनवाई, और अन्य प्रशासनिक सेवाओं के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। बार एसोसिएशन थराली के अध्यक्ष डीडी कुनियाल का कहना है कि जब तक प्रशासनिक स्थिरता नहीं आएगी, तब तक क्षेत्र का विकास संभव नहीं होगा।

पूर्व में तैनात प्रमुख अधिकारी

थराली में अब तक कुछ अधिकारी लंबे समय तक कार्यरत रहे, जैसे बीएल फिरमाल (20 सितंबर 2007 से 31 मार्च 2011), दीपक सिंह नेगी (18 अगस्त 2004 से 19 सितंबर 2007), और वर्तमान में चमोली जिले के अपर जिलाधिकारी विवेक प्रकाश (6 अप्रैल 2013 से 5 फरवरी 2015)। इनके अलावा अन्य अधिकारी एक वर्ष से अधिक इस पद पर नहीं टिक सके।

स्थायी समाधान की जरूरत

थराली तहसील में प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। एसडीएम पद पर दीर्घकालिक नियुक्ति सुनिश्चित करने से न केवल प्रशासनिक कामकाज बेहतर होगा, बल्कि विकास योजनाएं भी तेजी से पूरी हो सकेंगी। जनता की समस्याओं को दूर करने और सुचारू प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।

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