दिल्ली चुनाव 2025: यमुना की सफाई पर भ्रष्टाचार के आरोपों का गहराता मुद्दा

राजनीति

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। सभी पार्टियां अपने-अपने वादों और नारों के साथ जनता को लुभाने की कोशिश में जुटी हैं। इस बार चुनाव का मुख्य मुद्दा यमुना की सफाई और इससे जुड़ा कथित भ्रष्टाचार बनता जा रहा है।

यमुना सफाई पर राजनीतिक बयानबाज़ी

कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों पर यमुना की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा, “यमुना नदी की सफाई का काम सिर्फ कागजों पर हुआ है। जनता के पैसे का दुरुपयोग किया गया है, और वास्तविकता में नदी की हालत पहले से भी खराब हो गई है।”

आप सरकार की सफाई

इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार ने यमुना की सफाई के लिए कई योजनाएं चलाई हैं और यह काम धीमी गति से सही, लेकिन प्रगति पर है। उन्होंने विपक्ष पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा, “हमने यमुना की सफाई के लिए 3,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है और आने वाले पांच सालों में नदी को पूरी तरह से साफ करने का लक्ष्य है।”

भाजपा का रुख

भाजपा ने भी यमुना की सफाई के मुद्दे को लेकर आप सरकार पर हमला बोला। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “केजरीवाल सरकार सिर्फ वादे करती है, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं करती। यमुना सफाई अभियान के नाम पर जनता के साथ धोखा हुआ है।”

यमुना सफाई की वर्तमान स्थिति

दिल्ली में यमुना नदी की सफाई पिछले कई वर्षों से एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। सरकार द्वारा शुरू किए गए अलग-अलग अभियानों के बावजूद, नदी में प्रदूषण का स्तर कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी के पानी में खतरनाक केमिकल और कचरे का स्तर अब भी बेहद ऊंचा है।

जनता की राय

दिल्ली की जनता में इस मुद्दे को लेकर काफी गुस्सा है। न्यू अशोक नगर के निवासी सुनील कुमार का कहना है, “हर चुनाव में यमुना की सफाई का वादा किया जाता है, लेकिन चुनाव खत्म होते ही इस पर काम बंद हो जाता है। हम अब ऐसे नेताओं को वोट देंगे जो वास्तव में काम करें।”

चुनाव पर असर

यमुना की सफाई का मुद्दा इस बार चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। जनता अब केवल वादों पर नहीं, बल्कि काम के आधार पर फैसला करने को तैयार है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी इस मुद्दे पर जनता का भरोसा जीत पाती है

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