उत्तराखंड में महिलाओं का सशक्तिकरण: नई पहलों की दिशा में एक कदम आगे

उत्तराखंड

महिलाओं का योगदान: राज्य के गठन की आधारशिला


पृथक उत्तराखंड राज्य के निर्माण में महिलाओं की भूमिका किसी भी मामले में कम नहीं रही है। पहाड़ी क्षेत्रों में, जहां महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक हैं, वे समुदाय का केंद्रीय हिस्सा बन गई हैं। राज्य के 24 वर्षों के सफर में, उत्तराखंड की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और नेतृत्व का परिचय दे रही हैं।

महिला आरक्षण: सशक्त नेतृत्व की ओर बढ़ता कदम


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में, सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हाल ही में सहकारी समितियों में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण की घोषणा की गई, जिससे महिलाओं को नेतृत्व में नई संभावनाएं मिली हैं। इसके साथ ही, सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की पुनर्स्थापना ने महिलाओं के लिए और अवसर खोले हैं।

उच्च पदों पर महिलाओं की उपस्थिति


राज्य की मुख्य सचिव के पद पर एक महिला का होना यह दर्शाता है कि उत्तराखंड में महिलाओं की स्थिति में सुधार हो रहा है। कई जिलों में महिलाएं जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं, जो उनके सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

बालिका शिक्षा को बढ़ावा

शिक्षा के क्षेत्र में, छात्राओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। सरकार की नंदा गौरा योजना जैसे कार्यक्रम बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस योजना के तहत, बेटियों के जन्म पर 12 हजार रुपये और 12वीं कक्षा पास करने पर 51 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

महिलाओं का सम्मान: टीलू रौतेली पुरस्कार


हर वर्ष, वीरांगना तीलू रौतेली के जन्मदिन पर, उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को “राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार” से सम्मानित किया जाता है। इस पुरस्कार में 51 हजार रुपये की धनराशि, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र शामिल होता है, जो महिलाओं के योगदान को सराहने का एक प्रयास है।

कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल


महिलाओं के लिए कामकाजी हॉस्टल की स्थापना की जा रही है। देहरादून और हरिद्वार में पहले से ही ऐसे हॉस्टल उपलब्ध हैं, जो महिलाओं को सुरक्षित और सस्ती आवासीय सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।

आर्थिक सशक्तिकरण की नई योजनाएं


महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी में छूट का प्रावधान भी किया गया है। “लखपति दीदी योजना” के तहत, सरकार ने यह लक्ष्य रखा है कि स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की वार्षिक आय एक लाख रुपये तक पहुंचाई जाए। इस योजना के तहत एक लाख से अधिक महिलाएं लखपति बनने में सफल हो चुकी हैं।

मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण और भविष्य की योजनाएं


मुख्यमंत्री धामी ने अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है कि उनकी सरकार मातृशक्ति के कल्याण के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही लागू होने वाली समान नागरिक संहिता महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

संक्षेप में


इस तरह, उत्तराखंड सरकार की नई पहलों ने महिलाओं के सशक्तिकरण में नई ऊर्जा का संचार किया है, जो राज्य के विकास को एक नई दिशा दे रहा है। महिलाएं अब न केवल परिवार की धुरी हैं, बल्कि समाज और राज्य की प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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