उत्तराखंड में गुलदार का आतंक: बागेश्वर और ऊधम सिंह नगर में दो बच्चों की मौत

उत्तराखंड

उत्तराखंड में गुलदार का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को बागेश्वर और ऊधम सिंह नगर जिलों में गुलदार के हमले से दो मासूम बच्चों की जान चली गई, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई है। एक ही दिन में हुई इन दो घटनाओं ने स्थानीय लोगों के मन में डर और गुस्सा पैदा कर दिया है।

बागेश्वर: खेल रही बच्ची पर हमला

बागेश्वर जिले के कांडा तहसील के ओलानी गांव में गुरुवार शाम को तीन साल की योगिता उप्रेती पर गुलदार ने हमला कर दिया। बच्ची अपने घर के आंगन में खेल रही थी, जब गुलदार ने अचानक उस पर घात लगाया। परिजनों ने बच्ची को बचाने की कोशिश की, लेकिन गुलदार उसे लेकर जंगल में भाग गया।

घटना की जानकारी मिलने पर वन विभाग और पुलिस की टीमें तुरंत मौके पर पहुंची। कुछ देर की खोजबीन के बाद बच्ची का शव घर से थोड़ी दूर बरामद हुआ। इस दर्दनाक हादसे के बाद गांव में मातम छा गया है और लोगों में गहरी चिंता व्याप्त है। ग्रामीणों ने वन विभाग से गुलदार को जल्द पकड़ने और गांव की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

ऊधम सिंह नगर: 14 वर्षीय लड़के पर घातक हमला

उधम सिंह नगर जिले के नानकमत्ता क्षेत्र के बिचवा भूड़ गांव में 14 साल का गोपी अपने घर के आंगन में खेल रहा था, जब गुलदार ने अचानक उस पर हमला कर दिया। गोपी की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग तुरंत मदद के लिए दौड़े। शोर-शराबा सुनकर गुलदार वहां से भाग निकला, लेकिन लड़के को बुरी तरह घायल कर गया।

गोपी को गंभीर हालत में उप जिला चिकित्सालय सितारगंज ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद इलाके में शोक की लहर है, और लोग अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश

इन दोनों घटनाओं ने पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि गुलदार के लगातार बढ़ते हमलों से उनकी जिंदगी खतरे में है, और अब वे अपने बच्चों को घर के बाहर खेलने तक नहीं भेज पा रहे हैं। उन्होंने वन विभाग से तुरंत कार्रवाई की मांग की है, ताकि ऐसे हमलों पर रोक लगाई जा सके।

वन विभाग ने इन घटनाओं के बाद गुलदार को पकड़ने के लिए अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन स्थानीय लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। वे चाहते हैं कि सरकार और वन विभाग त्वरित और ठोस कदम उठाएं, जिससे इस जानलेवा खतरे से निजात मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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