पहाड़ी स्वाभिमान रैली: गैरसैंण में प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ आंदोलन तेज

उत्तराखंड

उत्तराखंड की राजनीति में हाल ही में बड़ा भूचाल आया है। राज्य के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा दिए गए कथित आपत्तिजनक बयान ने पहाड़ी जनता में रोष भर दिया है। इस मुद्दे पर प्रदेशभर में गुस्सा साफ नजर आ रहा है। इसी के चलते 6 मार्च 2025 को गैरसैंण के रामलीला मैदान में “पहाड़ी स्वाभिमान रैली” का आयोजन किया गया है। इस रैली के माध्यम से प्रेमचंद अग्रवाल को सत्ता से बर्खास्त करने की मांग उठाई जाएगी।

रैली का उद्देश्य और प्रमुख मांगें

गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने इस रैली का समर्थन किया है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की अस्मिता और स्वाभिमान की रक्षा करना है। रैली की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:

  • प्रेमचंद अग्रवाल को बर्खास्त किया जाए।
  • पहाड़ी समुदाय का सम्मान सुनिश्चित किया जाए।
  • भविष्य में किसी भी सार्वजनिक पदाधिकारी द्वारा अपमानजनक भाषा के प्रयोग पर कड़ी कार्रवाई हो।
  • उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की जाए।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ

इस विवाद के चलते उत्तराखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दलों ने प्रेमचंद अग्रवाल के बयान की निंदा की है और सरकार पर दबाव बनाया है कि वे उनके खिलाफ कार्रवाई करें।

सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने भी इस रैली को अपना समर्थन दिया है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #PahadiSwabhimanRally ट्रेंड कर रहा है।

गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का आह्वान

उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने इस आंदोलन को लेकर वीडियो संदेश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि यह केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि पहाड़ी अस्मिता की रक्षा का प्रश्न है। उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे बड़ी संख्या में इस रैली में भाग लें और अपने स्वाभिमान की रक्षा करें।

6 मार्च को होने वाली पहाड़ी स्वाभिमान रैली केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि पहाड़ के लोगों की एकजुटता का प्रदर्शन भी होगी। यह रैली यह साबित करेगी कि उत्तराखंड की जनता अपने सम्मान और अस्मिता के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस विरोध प्रदर्शन को कैसे संभालती है और प्रेमचंद अग्रवाल पर क्या निर्णय लेती है।

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