उत्तराखंड में लगातार नदियां प्रदूषित होती जा रही है यही हाल देहरादून की सुसवा नदी का भी है। इसी को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने मानवाधिकार आयोग में देहरादून की सुसवा नदी के पानी के जहरीले होने का मुद्दा उठाया था। इसका संज्ञान लेकर मानवाधिकार आयोग ने देहरादून के जिलाधिकारी को नोटिस जारी करके 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड क्रांति दल पिछले काफी समय से सुसवा नदी में गंदगी को लेकर आवाज उठा रहा है।आज इसी को लेकर ग्रामीणों ने बैठक की ग्रामीणों ने सुसवा नदी को जहरीला करने के लिए सरकार और शहर के लोगों, संस्थानों और अस्पतालों को जिम्मेदार ठहराते हुए जमकर गुस्सा जाहिर किया।
उत्तराखंड क्रांति दल के नेता वीरेंद्र थापा ने कहा कि इससे बेहतर तो हम यूपी में ही सही थे। यूपी के समय में सुसवा नदी का पानी पीने और सिंचाई के काम तक आता था, किंतु अब इस नदी को जहरीला करने के लिए सरकारों की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं। नदी में फैक्ट्रियों का केमिकल वेस्ट और अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट भी छोड़ा जाता है, जिससे यह नदी जहरीली हो गई है।
कैमरी के ग्रामीण जगदीश नेगी ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि इस नदी के पानी से उन्हें चर्म रोग हो गया। ग्रामीण महिला चंपा, मंजू रावत और राजबाला आदि का कहना था कि गंदे पानी के कारण उनकी फसलें खराब हो गई है और उत्पादन भी घट गया है।
बैठक में ग्रामीणों ने सुसवा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए आंदोलन शुरू करने पर जोर दिया। साथ ही इसकी व्यापक रणनीति बनाने और इसमें उन सभी गांव को भी जोड़ने के लिए तैयारी करने की बात कही जो किसी न किसी रूप से सुसवा नदी के किनारे पर बसे हैं और इस नदी से प्रभावित हैं।
बैठक में उत्तराखंड क्रांति दल की ओर से जिलाध्यक्ष केंद्रपाल सिंह तोपवाल, केंद्रीय युवा संगठन सचिव अरविंद बिष्ट, युवा मोर्चा की जिलाध्यक्ष सीमा रावत सहित स्थानीय समाजसेवी समर्पण मल्होत्रा, पूर्व सैनिक बलवीर सिंह रावत,स्वतंत्र पत्रकार चंद्रवीर गायत्री, बाबूराम बौड़ाई, विनोद सिंह, करण थापा, शाही प्रधान सिंह, शीशपाल सिंह ,मान सिंह पवार ,जोत सिंह पाल, रघु ,धन बहादुर ,नरेंद्र, जगदीश सिंह नेगी, राजेंद्र, चंपा, मंजू रावत, राजपाल आदि शामिल थे।
