प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में संतों और धर्माचार्यों की बैठकों में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। इस महाकुंभ में हिंदू राष्ट्र, मंदिर निर्माण और धर्माचार्यों की भूमिका को लेकर विशेष रूप से संवाद हुआ। जगद्गुरु अनंतानंद द्वाराचार्य काशीपीठाधीश्वर स्वामी डॉ. रामकमल दास वेदांती महाराज ने भी अपने विचार प्रकट किए। धर्मसंसद हो या संतों की बैठक, सभी ने एक स्वर में इन मुद्दों पर खुलकर अपनी बात कही।
वेदांती महाराज का संदेश
महाकुंभ के दौरान वेदांती महाराज ने कहा कि यह देश राम, कृष्ण और शंकर का है। उन्होंने हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को बल देते हुए कहा कि भारत की संस्कृति और परंपरा को सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है। उन्होंने मुसलमानों से भी मंदिर निर्माण में सहयोग करने की अपील की। उनका कहना था कि जब सभी धर्मों को भारत में समान अधिकार प्राप्त हैं, तो हिंदू धर्म के संरक्षण और विकास में भी सभी को सहयोग करना चाहिए।
हिंदू राष्ट्र की मांग
महाकुंभ में आए विभिन्न संतों और धर्माचार्यों ने हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर चर्चा की। धर्मसंसद में भी यह मुद्दा छाया रहा। संत समाज ने कहा कि हिंदू संस्कृति को सुरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। वेदांती महाराज ने कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग अब और भी प्रबल हो चुकी है। हमारी संस्कृति, परंपराएँ और धार्मिक धरोहरें हमारी पहचान हैं, जिनकी रक्षा अनिवार्य है।
मंदिर निर्माण और मुसलमानों का सहयोग
वेदांती महाराज ने मुसलमानों से भी अपील की कि वे मंदिर निर्माण में सहयोग करें और सौहार्द्र का संदेश दें। उन्होंने कहा कि देश में धर्म और आस्था का सम्मान करना सभी नागरिकों का कर्तव्य है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अतीत में भी कई मुसलमानों ने मंदिर निर्माण में सहयोग दिया है। उनका मानना है कि यदि सभी भारतीय इस दिशा में मिलकर कार्य करें, तो देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र और अधिक मजबूत होगा।
धर्माचार्यों की भूमिका पर चर्चा
महाकुंभ में तथाकथित धर्माचार्यों को लेकर भी चर्चा हुई। वेदांती महाराज ने कहा कि धर्माचार्यों को केवल प्रवचन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समाज को दिशा देने में भी उनकी अहम भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सच्चे धर्माचार्य वही हैं जो समाज को जोड़ने का कार्य करें और आध्यात्मिक ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाएँ।
समाप्ति
महाकुंभ 2025 में हिंदू राष्ट्र, मंदिर निर्माण और धर्माचार्यों की भूमिका को लेकर व्यापक चर्चा हुई। वेदांती महाराज ने अपने विचार रखते हुए सभी नागरिकों से सहयोग और एकता का आह्वान किया। उन्होंने मंदिर निर्माण को लेकर मुसलमानों से भी सहयोग करने की अपील की और भारत की सनातन परंपरा को मजबूत करने पर जोर दिया।