महाकुंभ 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिवेणी संगम में लगाई आस्था की डुबकी

उत्तराखंड

भारत के धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में महाकुंभ का विशेष स्थान है। यह पर्व हर 12 वर्षों में आयोजित किया जाता है और इसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। 5 फरवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान कर मां गंगा की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया और देशवासियों के कल्याण की प्रार्थना की।

प्रधानमंत्री मोदी का महाकुंभ स्नान

माघ मास की गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। उन्होंने केसरिया वस्त्र धारण कर संकल्पपूर्वक मां गंगा की पूजा की। स्नान के दौरान उन्होंने रुद्राक्ष की माला पहनी और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्नान किया। इसके पश्चात, प्रधानमंत्री ने विधिपूर्वक परिक्रमा कर मां गंगा से देशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की।

गुप्त नवरात्रि और महाकुंभ का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास की गुप्त नवरात्रि में ध्यान, तप और साधना का विशेष महत्व होता है। इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान अत्यंत फलदायी माने जाते हैं। मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह समय साधकों और भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है।

प्रधानमंत्री का संदेश और आध्यात्मिक ऊर्जा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पावन अवसर पर देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धारा है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ आत्मशुद्धि और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। यह पर्व हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण और स्वच्छता का संदेश देते हुए कहा कि गंगा की निर्मलता को बनाए रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

महाकुंभ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

प्रधानमंत्री के आगमन से महाकुंभ का वातावरण और भी भक्तिमय हो गया। लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए उमड़े और ‘हर हर गंगे’ के जयकारों से प्रयागराज गूंज उठा। गंगा के तट पर संत, महात्मा और श्रद्धालु भक्तिभाव से ध्यान और साधना कर रहे थे। संगम तट पर भव्य गंगा आरती का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों भक्तों ने भाग लिया।

धार्मिक अनुष्ठान और संतों का समागम

महाकुंभ में कई धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होते हैं, जिनमें गंगा आरती, यज्ञ, प्रवचन और संत समागम प्रमुख हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी विभिन्न संतों और महात्माओं से आशीर्वाद लिया और उनके साथ धार्मिक चर्चा की। गंगा पूजन के दौरान प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि गंगा हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है और इसकी रक्षा हम सभी का दायित्व है।

महाकुंभ 2025 का विशेष महत्व

महाकुंभ 2025 कई मायनों में विशेष है। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि इसे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में से एक माना जाता है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. गंगा स्नान का आध्यात्मिक महत्व: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. धार्मिक समागम: इस अवसर पर विभिन्न अखाड़ों के संतों का जमावड़ा लगता है, जो अपने शिष्यों को ज्ञान और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  3. पर्यावरण संरक्षण का संदेश: प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ गंगा अभियान के तहत नदी की सफाई पर विशेष जोर दिया और श्रद्धालुओं से इसे बनाए रखने की अपील की।

महाकुंभ भारत की आध्यात्मिक समृद्धि का परिचायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का त्रिवेणी संगम में स्नान करना और मां गंगा की पूजा करना एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने देशवासियों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूक किया। यह धार्मिक आयोजन भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव को पुनः विश्वपटल पर उजागर करता है।

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