महाकुंभ 2025, प्रयागराज में धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों का अद्वितीय संगम बनकर उभरा है। संगम तट पर बसी इस तंबुओं की नगरी में भारत की प्राचीन सनातन संस्कृति का प्रभाव पूरी दुनिया में फैलता दिखाई दे रहा है।
अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का केंद्र बना महाकुंभ
प्रयागराज का महाकुंभ केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन चुका है। श्रीपंच दशनाम आवाहन अखाड़े के नागाओं से गुलजार आवाहन नगर की गलियों में थाईलैंड, रूस, जर्मनी और जापान जैसे देशों के युवा सनातन संस्कृति को समझने और उसमें घुलने-मिलने के लिए पहुंच रहे हैं।
थाईलैंड के बवासा बने महेशानंद
थाईलैंड के चूललोंगकोर्न विश्वविद्यालय के शोध छात्र बवासा ने महाकुंभ के दौरान सनातन संस्कृति से प्रभावित होकर साधु जीवन को अपनाया। अब वे आवाहन नगर में ‘महेशानंद’ के नाम से जाने जा रहे हैं। उनका कहना है कि भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का गहराई से अध्ययन करने के लिए यह निर्णय लिया गया।
रूस की वोल्गा बनीं गंगा माता
रूस की वोल्गा नदी और भारत की गंगा के प्रतीकात्मक संबंधों को भी महाकुंभ में प्रदर्शित किया गया। रूसी तीर्थयात्रियों ने गंगा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए इसे ‘गंगा माता’ का दर्जा दिया। इसने दो देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
महाकुंभ के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और योग ने विदेशी प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन आयोजनों ने दर्शाया कि भारतीय संस्कृति में पूरी दुनिया को जोड़ने की शक्ति है