परिचय
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने ऐसी नैनो मैटेरियल कोशिकाएं विकसित की हैं, जो शरीर में हानिकारक धातुओं की पहचान कर सकती हैं। यह तकनीक न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण निगरानी के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती है।
नैनो मैटेरियल कोशिकाओं का निर्माण
वैज्ञानिकों ने इन विशेष नैनो कणों को पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल्स नामक सामग्री से विकसित किया है। यह सामग्री अत्यधिक संवेदनशील होती है और थोड़ी मात्रा में भी हानिकारक धातुओं की पहचान करने में सक्षम होती है।
हानिकारक धातुओं का प्रभाव
हमारे शरीर और पर्यावरण में कई प्रकार की हानिकारक धातुएं पाई जाती हैं, जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। इनमें सीसा (Lead), पारा (Mercury), कैडमियम (Cadmium), और आर्सेनिक (Arsenic) प्रमुख हैं। ये धातुएं शरीर में प्रवेश करने पर तंत्रिका तंत्र, गुर्दे, और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
तकनीक के लाभ
- स्वास्थ्य सुरक्षा: यह तकनीक शरीर में धातुओं की मात्रा का सटीक विश्लेषण कर स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करेगी।
- पर्यावरण निगरानी: जल और मिट्टी में उपस्थित हानिकारक धातुओं का भी आसानी से पता लगाया जा सकता है।
- त्वरित परिणाम: पारंपरिक तरीकों की तुलना में यह तकनीक अधिक तेज़ और कुशल है।
भविष्य की संभावनाएं
इस तकनीक के व्यापक उपयोग से औद्योगिक क्षेत्रों, जल शोध केंद्रों और चिकित्सा संस्थानों को लाभ होगा। वैज्ञानिक इस तकनीक को और अधिक उन्नत बनाने के लिए शोध कर रहे हैं, जिससे यह अधिक प्रभावी हो सके
आईआईटी गुवाहाटी की यह नई खोज स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकती है। यह तकनीक हानिकारक धातुओं की पहचान कर बीमारियों की रोकथाम में मदद करेगी और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगी