देहरादून के डॉल्फिन (पीजी) इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नेचुरल साइंसेज में 25 अक्टूबर 2024 को “Converging Paths: Bridging Traditional Practices & Modern Science for a Sustainable Future” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन का उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के माध्यम से सतत भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाना था।
तकनीकी सत्र और व्याख्यान
सम्मेलन के दूसरे दिन शैक्षिक दृष्टिकोण, तकनीकी नवाचार और सांस्कृतिक संरक्षण पर आधारित एक सत्र का आयोजन हुआ। इसमें विभिन्न विशेषज्ञों ने पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय पर प्रकाश डाला। डीएवी पीजी कॉलेज, देहरादून के प्रोफेसर डॉ. रामविनय ने संस्कृत ग्रंथों में निहित विज्ञान की जानकारी साझा की। इसके अलावा, कृषि वानिकी विशेषज्ञ डॉ. एस.बी.एस. पांडे ने पारंपरिक और आधुनिक कृषि के बीच पुल बनाने के महत्व पर चर्चा की।

विशिष्ट अतिथि के विचार
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ओ. पी. नौटियाल ने युवा पीढ़ी को भारत के प्राचीन विज्ञान की महत्ता से अवगत कराया। उन्होंने इस पर जोर दिया कि किस तरह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए हम विज्ञान के माध्यम से सतत विकास की ओर बढ़ सकते हैं।
पुरस्कार वितरण
सम्मेलन के अंत में प्रतिभागियों के उत्कृष्ट शोध कार्य को सराहा गया, और पोस्टर एवं मौखिक प्रस्तुतियों के लिए पुरस्कार दिए गए। संकाय एवं शोधकर्ता श्रेणी के साथ-साथ छात्र श्रेणी में भी विभिन्न पुरस्कार दिए गए, जिसमें शोधकर्ताओं ने विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान के सम्मिश्रण पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

मुख्य अतिथियों का संदेश
सम्मेलन में डॉल्फिन संस्थान के चेयरमैन अरविंद गुप्ता ने वैज्ञानिक अनुसंधान में स्थिरता पर बल देने के लिए प्रतिभागियों को प्रेरित किया। मुख्य अतिथि डॉ. जगमोहन सिंह राणा ने नैतिक अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर दिया और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान में शामिल करने के लाभों पर अपने विचार साझा किए।
निष्कर्ष
इस दो दिवसीय सम्मेलन ने पारंपरिक और आधुनिक ज्ञान प्रणालियों के बीच एक सेतु बनाने का प्रयास किया और प्रतिभागियों को सांस्कृतिक धरोहर को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की प्रेरणा दी।