संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की जरूरत: भारत की पारदर्शिता की मांग

नेशनल न्यूज़ डायरी

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के कामकाज में पारदर्शिता और सुधार की मांग भारत ने फिर से उठाई है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने सुरक्षा परिषद के कार्यप्रणाली में सुधार पर बल देते हुए कहा कि इसकी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता होनी चाहिए, खासकर आतंकवादी संगठनों को ब्लैकलिस्ट करने के मामले में। भारत ने चीन के रवैये पर भी सवाल उठाए हैं, जिसने कई बार पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों को विफल किया है।

यूएनएससी में सुधार की जरूरत

भारत का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र की वर्तमान संरचना वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों को वीटो शक्ति प्राप्त है, जो कई बार पारदर्शिता की कमी का कारण बनती है। भारत ने इस प्रणाली में संशोधन की जरूरत को रेखांकित किया है ताकि यह अधिक लोकतांत्रिक और प्रभावी बन सके।

पारदर्शिता का अभाव

पी. हरीश ने अपने बयान में कहा कि सुरक्षा परिषद की कार्यशैली में पारदर्शिता की कमी है। आतंकवाद से जुड़े कई मामलों में ब्लैकलिस्टिंग अनुरोधों को अस्वीकार करने या तकनीकी रोक लगाने की वजह सार्वजनिक नहीं की जाती, जिससे एक “छिपे हुए वीटो” की स्थिति उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि सभी फैसलों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता बनी रहे।

चीन की भूमिका पर सवाल

भारत ने चीन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसने कई बार पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयासों में बाधा पहुंचाई है। यह केवल भारत की चिंता नहीं है, बल्कि अन्य कई देशों के लिए भी सुरक्षा का मुद्दा है। भारत का मानना है कि सुरक्षा परिषद के अधिकांश सदस्य देश इसमें सुधार के पक्ष में हैं, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

वैश्विक समर्थन और भारत की भूमिका

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से अपील की है कि वे सुरक्षा परिषद में आवश्यक सुधारों के लिए समर्थन करें। भारत ने लंबे समय से परिषद की स्थायी सदस्यता की मांग की है, जिससे वह वैश्विक शांति और सुरक्षा में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सके।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कामकाज में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए सुधार आवश्यक हैं। भारत की मांग न केवल उसकी अपनी सुरक्षा से जुड़ी है, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए भी यह बदलाव जरूरी है।

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