ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का अनुमान लगाना कठिन
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों की सटीक भविष्यवाणी करना जलवायु शोधकर्ताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है। बारिश, बर्फबारी, समुद्र स्तर में वृद्धि, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे प्रभाव कई अलग-अलग कारकों पर निर्भर करते हैं। इनमें से सबसे प्रमुख कारक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन है।
भूवैज्ञानिक अनुसंधान का नया आयाम
साइंस एडवांस में प्रकाशित एक नए शोध पत्र के अनुसार, भूवैज्ञानिकों ने पहली बार यह पता लगाया है कि पूर्वी एशिया में तटीय पर्वत कैसे बने। यह घटना 10 करोड़ साल पहले हुई, जिसने महाद्वीपीय जलवायु को पूरी तरह बदल दिया। इस खोज से यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार जलवायु परिवर्तन ने अतीत में दुनिया के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित किया।
26 लाख वर्ष पहले की गर्म जलवायु
शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि 26 लाख वर्ष पहले की जलवायु आज की तुलना में कहीं अधिक गर्म थी। उस समय के पर्यावरणीय हालात और वर्तमान समय में हो रहे जलवायु परिवर्तन के बीच तुलना करना वैज्ञानिकों के लिए बेहद जटिल है। यह अध्ययन दर्शाता है कि प्राकृतिक प्रक्रियाओं का गहन अध्ययन ही भविष्य की जलवायु स्थितियों का पूर्वानुमान लगाने का सबसे बेहतर तरीका है।
ग्रीनहाउस गैसें और राजनीतिक प्रभाव
ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की मात्रा आने वाले दशकों में किस स्तर पर पहुंचेगी, यह पूरी तरह से राजनीतिक निर्णयों और तकनीकी प्रगति पर निर्भर करेगा।