हल्द्वानी की बेटियों ने बढ़ाया प्रदेश का मान
उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर की दो बहनों, वैष्णवी पांडेय और अदिति पांडेय, ने अखिल भारतीय शलाका परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में वैष्णवी ने दूसरा स्थान प्राप्त कर रजत पदक और ₹15000 की नगद राशि जीती, जबकि अदिति ने चौथा स्थान प्राप्त कर अपनी विद्वत्ता का परिचय दिया।
शलाका परीक्षा का महत्व
शलाका परीक्षा भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली का हिस्सा है, जिसमें विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति और शास्त्रों के ज्ञान की परीक्षा ली जाती है। इस परीक्षा के माध्यम से छात्रों की बौद्धिक क्षमता को परखा जाता है। इस वर्ष यह परीक्षा 2 मार्च को संस्कृत भारती उत्तर प्रदेश और श्री जयराम ब्रह्मचर्याश्रम, नई दिल्ली द्वारा आयोजित की गई थी।
अमरकोश ग्रंथ का संपूर्ण अध्ययन
वैष्णवी और अदिति ने इस परीक्षा में अमरकोश ग्रंथ को कंठस्थ कर यह सिद्ध कर दिया कि उनकी स्मरण शक्ति और संस्कृत भाषा पर पकड़ अद्भुत है। अमरकोश संस्कृत भाषा का एक महत्वपूर्ण कोश ग्रंथ है, जिसमें विभिन्न शब्दों के पर्यायवाची शब्दों को संकलित किया गया है। इस कठिन ग्रंथ को पूरी तरह याद कर पाना अत्यंत कठिन कार्य है, लेकिन इन बहनों ने अपनी मेहनत और लगन से इसे पूरा किया।
पिता के मार्गदर्शन में मिली सफलता
वैष्णवी और अदिति की इस उपलब्धि के पीछे उनके पिता, डॉ. जगदीश चंद्र पांडेय का विशेष योगदान है। संस्कृत भाषा के ज्ञाता होने के नाते उन्होंने अपनी बेटियों को लगातार आठ महीनों तक इस परीक्षा के लिए प्रशिक्षित किया। उनकी मेहनत और समर्पण का ही परिणाम है कि उनकी बेटियों ने अखिल भारतीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
स्कूल और शहर में हर्ष का माहौल
गोलापार के वेंडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययनरत वैष्णवी (कक्षा 6) और अदिति (कक्षा 4) की इस शानदार उपलब्धि से स्कूल में खुशी की लहर दौड़ गई है। विद्यालय के प्रधानाचार्य और शिक्षकों ने इनकी मेहनत और सफलता की सराहना की है। वहीं, हल्द्वानी शहर में भी इनकी उपलब्धि को लेकर उत्साह का माहौल है।
पुरस्कार और सम्मान
शलाका परीक्षा में वैष्णवी को दूसरा स्थान प्राप्त करने पर रजत पदक और ₹15000 की नगद राशि प्रदान की गई। अदिति ने चौथा स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। संस्कृत भारती और श्री जयराम ब्रह्मचर्याश्रम, नई दिल्ली द्वारा दोनों बहनों को विशेष प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।
संस्कृत भाषा के प्रति बढ़ती रुचि
वैष्णवी और अदिति की इस सफलता ने संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रुचि को और अधिक बढ़ा दिया है। यह परीक्षा न केवल विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति को परखती है, बल्कि उनकी एकाग्रता, धैर्य और मेहनत की भी परीक्षा लेती है। इन बहनों की सफलता यह साबित करती है कि संस्कृत भाषा का अध्ययन आज भी उतना ही महत्वपूर्ण और उपयोगी है जितना कि प्राचीन समय में था।
वैष्णवी और अदिति पांडेय की इस उपलब्धि ने पूरे उत्तराखंड को गर्व महसूस कराया है। उनकी मेहनत, लगन और संस्कृत भाषा के प्रति समर्पण ने यह साबित कर दिया कि कठिन परिश्रम से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। यह दोनों बहनें आने वाले समय में भी अपनी मेहनत और ज्ञान से नई ऊंचाइयां छूने के लिए तत्पर हैं।