उत्तराखंड निकाय चुनाव: मतदान में गिरावट, अंतिम आंकड़े जारी

उत्तराखंड

सारांश

उत्तराखंड में निकाय चुनाव के अंतिम आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। इस बार मतदान प्रतिशत में गिरावट देखने को मिली है। 2018 के मुकाबले 4.38 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। जबकि 2018 में 69.79 प्रतिशत मतदान हुआ था, इस बार यह आंकड़ा 65.41 प्रतिशत पर सिमट गया।

देहरादून को छोड़ बाकी निगमों में 60% से ऊपर मतदान

राज्य निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को प्रदेश के 100 निकायों के अंतिम आंकड़े जारी किए। देहरादून को छोड़कर अन्य सभी 10 नगर निगमों में मतदान का प्रतिशत 60 से ऊपर रहा। हालांकि, प्रदेश स्तर पर औसत मतदान में गिरावट देखने को मिली। 2018 में जहां मतदाता जोश के साथ निकाय चुनाव में भाग ले रहे थे, वहीं इस बार उनका उत्साह थोड़ा कम नजर आया।

मतदान गिरावट के मुख्य कारण

  1. सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां: आम चुनाव के बाद लोग निकाय चुनाव में उतनी सक्रियता नहीं दिखाते।
  2. शहरीकरण का प्रभाव: शहरी क्षेत्रों में मतदान के प्रति रुचि कम होती दिख रही है।
  3. जानकारी का अभाव: स्थानीय चुनावों में अक्सर मतदाताओं को उम्मीदवारों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती।दूसरे दृष्टिकोण से विश्लेषण
  4. मतदान में गिरावट की समीक्षा
  5. उत्तराखंड के मतदाताओं का रुझान लगातार बदल रहा है। इस बार के निकाय चुनाव ने स्पष्ट किया कि आम चुनाव के बाद स्थानीय स्तर पर मतदान में कमी आ रही है।
  6. देहरादून में सबसे कम मतदान:
    • शहरी क्षेत्र होने के कारण देहरादून में मतदान प्रतिशत सबसे कम रहा।
    • अन्य 10 नगर निगमों में 60% से ज्यादा मतदान हुआ।
  7. ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर रुझान:
    • ग्रामीण इलाकों में लोगों ने अपेक्षाकृत ज्यादा भागीदारी दिखाई।
    • इसका कारण स्थानीय मुद्दों पर अधिक जागरूकता हो सकता है।
  8. सुधार के सुझाव
  9. मतदाता जागरूकता अभियान:
    • स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
  10. डिजिटल प्रचार:
    • सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया जाए।
  11. युवाओं की भागीदारी:

उत्तराखंड निकाय चुनाव में मतदान प्रतिशत में गिरावट चिंता का विषय है। देहरादून जैसे बड़े शहरों में कम मतदान ने यह दर्शाया कि शहरी क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। राज्य निर्वाचन आयोग को इसे एक चुनौती के रूप में लेकर आगामी चुनावों में इस गिरावट को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *