उत्तराखंड: साइबर फ्रॉड गिरोह के दो गुर्गे गिरफ्तार, 9.80 लाख रुपये बरामद

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गश्त के दौरान मिली सफलता

उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। साइबर धोखाधड़ी में शामिल दो अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इनसे 9.80 लाख रुपये नकद, दो अवैध हथियार और जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। आरोपियों को विभिन्न धाराओं में चालान कर जेल भेज दिया गया है।

इस तरह पकड़े गए आरोपी

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एसओजी प्रभारी एसआई रवींद्र सिंह बिष्ट अपनी टीम के साथ गश्त कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें मुखबिर से सूचना मिली कि दो युवक अवैध हथियारों और भारी रकम के साथ आ रहे हैं। सूचना के आधार पर बांसफोड़ान चौकी इंचार्ज एसआई मनोज धौनी और उनकी टीम ने वाहनों की चेकिंग शुरू कर दी।

जैसे ही संदिग्ध कार मोहल्ला महेशपुरा की ओर से आती दिखी, पुलिस ने उसे रुकने का इशारा किया। लेकिन कार में सवार दो युवक तेजी से उतरकर भागने लगे। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उन्हें दौड़ाकर पकड़ लिया।

कौन हैं आरोपी?

पूछताछ के दौरान आरोपियों की पहचान मोहम्मद दाऊद (निवासी चांद मस्जिद, जसपुर) और तरुण भारद्वाज (निवासी जसपुर) के रूप में हुई। तलाशी लेने पर उनके पास से दो 315 बोर के तमंचे और दो जिंदा कारतूस मिले। इसके अलावा, उनकी कार से 9.80 लाख रुपये नकद भी बरामद हुए।

कैसे करते थे साइबर फ्रॉड?

आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे साइबर ठगी गिरोह का हिस्सा हैं। यह गिरोह ऑनलाइन धोखाधड़ी कर लोगों के पैसे हड़पता था। एक व्यक्ति, प्रियांशु, जो वर्तमान में दुबई में रहता है, इस नेटवर्क का संचालन करता है।

गिरोह ठगी के पैसों को फर्जी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर करता था। इस बार, पैसे जनता ट्रेडर्स के खाते में भेजे गए, फिर वहां से रहमत शाह नामक फर्जी खाते में 25 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए। बाद में यह धन कई अन्य खातों में विभाजित कर दिया गया।

अवैध असलहे और डर का माहौल

दोनों आरोपियों ने बताया कि वे लोगों को डराने और अपने लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए तमंचे रखते थे। उन्होंने ये हथियार ठाकुरद्वारा के फैजान नामक व्यक्ति से खरीदे थे।

पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच

पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट और साइबर अपराध की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इसके साथ ही, गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों के जरिए इस बड़े साइबर फ्रॉड नेटवर्क की जड़ें तलाशने की कोशिश की जा रही है

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