परंपरा और आधुनिकता का मिलन
बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी ने एक महत्वपूर्ण पहल के तहत कर्नाटक के श्री उमामहेश्वर वीरभद्रेश्वर मंदिर को एक आदमकद यांत्रिक हाथी ‘उमामहेश्वर’ उपहार में दिया। यह पहल पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया और कम्पैशन अनलिमिटेड प्लस एक्शन (सीयूपीए) के सहयोग से संभव हुई। इस अनूठी पहल का उद्देश्य परंपराओं को संरक्षित रखते हुए जानवरों की पीड़ा को समाप्त करना है।
मंदिर का क्रांतिकारी निर्णय
श्री उमामहेश्वर वीरभद्रेश्वर मंदिर, जो कर्नाटक के तवरेकेरे में स्थित है, ने एक महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय निर्णय लिया कि वह जीवित हाथियों को मंदिर में कभी नहीं रखेगा और न ही उन्हें किराए पर लेगा। यह निर्णय पर्यावरण और जीव-जंतुओं के प्रति मंदिर प्रशासन की जागरूकता और दयालुता को दर्शाता है। इसी को सम्मानित करने के लिए अभिनेता सुनील शेट्टी ने यांत्रिक हाथी भेंट किया, जिससे परंपराओं का पालन बिना किसी क्रूरता के किया जा सके।
उमामहेश्वर का भव्य स्वागत
सोमवार को श्री उमामहेश्वर वीरभद्रेश्वर मंदिर में इस यांत्रिक हाथी का स्वागत बेहद भव्य तरीके से किया गया। भक्ति से सराबोर वातावरण में मंगल वाद्यों की धुनों के साथ इसका उद्घाटन हुआ। दावणगेरे जिले का यह पहला मंदिर बन गया है जिसने इस तकनीक को अपनाया है। उमामहेश्वर अब मंदिर की विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेगा और बिना किसी जीवित जानवर को कष्ट दिए परंपराओं को जीवंत रखेगा।
सुनील शेट्टी का संदेश
इस अवसर पर अभिनेता सुनील शेट्टी ने कहा, “जंगली हाथी केवल एक जीव नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण घटक हैं। वे बीज फैलाने में मदद करते हैं और जंगलों को संरक्षित रखने में उनकी भूमिका अहम होती है। मैं इस महत्वपूर्ण पहल का हिस्सा बनकर बेहद खुश हूँ क्योंकि यह हमारी परंपराओं को बनाए रखते हुए जानवरों के प्रति करुणा को बढ़ावा देती है।”
पेटा इंडिया और सीयूपीए का योगदान
पेटा इंडिया और सीयूपीए ने इस अभियान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इन संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य पशुओं पर होने वाले अत्याचार को रोकना और उनके कल्याण को सुनिश्चित करना है। मंदिर प्रशासन ने इस प्रयास को सराहा और इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया।
यांत्रिक हाथी का महत्व
यह यांत्रिक हाथी पूरी तरह से स्वचालित है और इसे इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह वास्तविक हाथी की तरह दिखे और हिले-डुले। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसे संचालित करने में किसी भी जानवर को किसी भी प्रकार की पीड़ा नहीं होती।
भविष्य के लिए एक मिसाल
श्री उमामहेश्वर वीरभद्रेश्वर मंदिर का यह कदम अन्य मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के लिए एक मिसाल बन सकता है। यह दिखाता है कि परंपराओं को बनाए रखते हुए भी आधुनिक तकनीक के माध्यम से क्रूरता को समाप्त किया जा सकता है।
सुनील शेट्टी, पेटा इंडिया और सीयूपीए के इस संयुक्त प्रयास ने भारत में पशु अधिकारों की दिशा में एक नई लहर पैदा की है। यह केवल एक मंदिर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर में अन्य मंदिरों और धार्मिक स्थलों को प्रेरित करेगा कि वे भी इस पहल को अपनाएं और जीव-जंतुओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनें।