वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि का महोत्सव इस वर्ष विशेष रूप से भव्य होने जा रहा है। इस पावन पर्व पर बाबा विश्वनाथ के भक्तों को लगातार 46.5 घंटे तक दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा। मंदिर प्रशासन के अनुसार, यह अनुष्ठान 26 फरवरी को मंगला आरती के साथ आरंभ होगा और 27 फरवरी को शयन आरती के बाद समाप्त होगा।
अखंड दर्शन का अवसर
मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विश्वभूषण मिश्र ने जानकारी दी कि 25 फरवरी की शयन आरती के बाद गर्भगृह को बंद कर दिया जाएगा। 26 फरवरी को भोर में 2:30 बजे मंगला आरती होगी और इसके तुरंत बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे। इसके बाद 27 फरवरी की शयन आरती तक भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे।
बाबा के विवाहोत्सव की विशेष रस्में
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर बाबा विश्वनाथ का विवाहोत्सव भी संपन्न होगा। 26 फरवरी की रात 10:30 बजे से विवाह अनुष्ठान प्रारंभ होंगे, जो 27 फरवरी की सुबह 6 बजे तक चलेंगे। इस दौरान विभिन्न अनुष्ठानों के साथ विशेष श्रृंगार और पूजन भी किया जाएगा।
आरती में बदलाव
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर सप्त ऋषि, श्रृंगार और शयन आरती नहीं होगी। इन आरतियों के स्थान पर बाबा के विवाह से जुड़े अनुष्ठानों को अधिक महत्व दिया जाएगा। चार प्रहर की आरती का आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे।
श्रद्धालुओं का भारी उत्साह
मंदिर प्रशासन के अनुसार, इस वर्ष लगभग 14 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। महाकुंभ के प्रभाव के कारण इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हो सकती है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन ने विशेष प्रबंध किए हैं।
विश्राम के लिए केवल 1.5 घंटे
महाशिवरात्रि के पूर्व बाबा विश्वनाथ केवल 1.5 घंटे का विश्राम करेंगे, और फिर लगातार दो दिन तक भक्तों को दर्शन देंगे। 27 फरवरी की रात 12:30 बजे से 1:00 बजे तक शयन आरती होगी, जिसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे।