पंजाब स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की भारी जीत।

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पंजाब में हुए नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतों के चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने एकतरफ़ा जीत हासिल की है.

ये किसान आंदोलन और अकाली दल के बीजेपी से अलग होने के बाद हुए किसी चुनाव के पहले नतीजे हैं.

पंजाब में 8 नगर निगमों और 109 नगर परिषदों के लिए हुए चुनावों में अब तक आए 7 नगर निगमों के नतीजों में सभी कांग्रेस ने जीते हैं.

वहीं 190 नगर परिषद में से अब तक 104 के नतीजे आए हैं जिनमें कांग्रेस ने 98 और विपक्षी दलों ने 06 नगर परिषदों में जीत हासिल की है.

यही नहीं सुखबीर सिंह बादल के निर्वाचन क्षेत्र जलालाबाद में भी कांग्रेस ने 11 सीटें जीती हैं जबकि अकाली दल ने केवल पांच सीटें जीती हैं.

इन चुनावों में सिर्फ़ बीजेपी ही नहीं अकाली दल और आप ने भी ख़राब प्रदर्शन किया है.

किसान क़ानूनों का विरोध कर रही आम आदमी पार्टी को अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद थी लेकिन वो अकाली दल से भी पीछे तीसरे नंबर पर है.

पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर खालिद मोहम्मद कहते हैं कि ये एकतरफ़ा परिणाम है.

वो कहते हैं, ‘अकाली दल दूसरे नंबर पर तो है लेकिन पहले नंबर से बहुत दूर है. यह भाजपा से अलग होने वाले अकाली दल के लिए चिंता का विषय है. शहरी लोगों ने भी उसे वोट नहीं किया है.’

प्रोफ़ेसर ख़ालिद कहते हैं, ‘आम आदमी पार्टी ने कई जगह सीटें जीती तो हैं लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है. ये उम्मीद से कम प्रदर्शन है. आप पंजाब की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. वहीं भाजपा के सामने कई मुश्किलें थीं, कई जगहों पर उसके उम्मीदवारों को ही बाहर कर दिया गया था.’

वो कहते हैं कि पंजाब के स्थानीय निकाय चुनावों के ये नतीजे पूरे उत्तर भारत के लिए एक संकेत भी हो सकते हैं.

किसान आंदोलन के बीच में हो रहे पंजाब के निकाय चुनाव वैसे तो आम लगते हैं, लेकिन इसके परिणाम से जो संदेश सामने आएगा, उसका असर 2022 के असेंबली चुनाव पर पड़ना निश्चित है। यही वजह रही कि अकाली दल ने किसानों की नाराजगी से बचने के लिए बीजेपी से अपना दामन छुड़ा लिया। लेकिन अब इस बात का पता परिणाम से ही चलेगा कि कृषि कानूनों के मसले पर मोदी सरकार से बाहर आने वाले अकाली दल का ये पैंतरा कितना कामयाब रहा। सूबे के सीएम अमरिंदर सिंह के लिए भी ये चुनाव लिटमस टेस्ट की तरह से हैं। इनसे पता चलेगा कि 2019 में मोदी लहर को रोकने वाले कैप्टन का असर नए सीन में अपनी जनता पर कितना है तो किसानों से लगातार हमदर्दी दिखा रही आप की हैसियत भी इनसे पता चलेगी।

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